Pothu sevai
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white sarree
לפני 4 שנים
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चोटी बहुब उम्हर में तो थी चोटी लेकिन उसका उसका गढ़रायवा बदन बड़ी बड़ी उर्टों को भी मात दे दे ता था
उसका लहरा के चलने से बन्या की निया डूल गई लेकिन चोटी बहुब की निया तो उसके बिस्थर पर जा चुकी थी तुकि उसका पती जागने से ज़दा सोने में विश्वास रखता था
चोटी बहुब भारी वक्त में खुद को नहीं हारती खुद से खुद करस लीती और अपने आपको सहराती वो ये कारे सब तक जब तरह तब तक ती हो हरी किस बश में उसको विश्वास नहीं करती थी
अब तो पर परवार पर पर परवार पर पर परवार पर परवार पर परवार पर परवार
अगर आपको प्रश्चाद रहे हैं, तो तो प्रश्चाद रहे हैं.